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क्या युद्ध विराम समझौते के बाद हो पाएगा तबाह हो चुके गाजा का पुनर्निर्माण?

इजराइल हमास युद्धविराम समझौता एक ऐसे समय में हुआ है जब गाजा पट्टी में 46,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं तथा 93% घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. सवाल ये है कि क्या गाज़ा का पुनर्निर्माण संभव है.

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क्या युद्ध विराम समझौते के बाद हो पाएगा तबाह हो चुके गाजा का पुनर्निर्माण?

इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम के प्रभावी होने के साथ, यह उम्मीद जताई जा रही है कि इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच लगभग 77 साल लंबे संघर्ष के सबसे विनाशकारी अध्याय का अंत हो जाएगा. गाजा की हमास के नेतृत्व वाली सरकार का अनुमान है कि हर 15 में से 14 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि पांच नष्ट हो गए हैं. ध्यान रहे कि जो आंकड़े आए हैं अगर उनपर गौर किया जाए तो मिलता है कि गाजा में 93% घर क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गए हैं. इस विनाश के कारण गाजा पट्टी में अनुमानित 42 मिलियन टन मलबा जमा हो गया है. 

शायद आपको ये जानकार हैरत हो कि जितना मलबा गाज़ा में है उससे 180 वेम्बली स्टेडियमों का निर्माण किया जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 69% इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिनमें से चार में से एक (24%) पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं.

उत्तरी गाजा से सैटेलाइट द्वारा ली गई तस्वीरें विनाश की सीमा को दर्शाती हैं. उत्तरी गाजा के मुख्य अस्पतालों में से एक पूरी तरह नष्ट हो गया है. इसी तरह क्षेत्र के कई आवासीय इलाके भी नष्ट हो गए हैं. भौतिक बुनियादी ढांचे के विनाश के साथ-साथ, टैंक ट्रेल्स और रेत की किलेबंदी उत्तर में सेना की वर्तमान बड़े पैमाने पर मौजूदगी का संकेत देती है.

गाजा का भविष्य क्या है?

समझौते की शर्तों के तहत, इजरायली सेना को अपनी वर्तमान स्थिति से हटकर गाजा सीमा के 700 मीटर के भीतर जाना होगा. इसका सबसे तात्कालिक परिणाम यह हो सकता है कि फिलिस्तीनियों का अपने घरों की ओर लौटना शुरू हो जाए. युद्ध शुरू होने के बाद से अनुमानित 1.9 मिलियन गाजा निवासी विस्थापित हो चुके हैं, जो कि कुल आबादी का 90% है.

उनमें से कई लोग गाजा की शोरलाइन के किनारे ऐसे शहरों में रह रहे हैं जिनका निर्माण लंबुओं से किया गया है. ये लोग यहां रहने के लिए इसलिए मजबूर हुए हैं क्योंकि इज़राइल ने उन्हें अल मवासी 'मानवीय क्षेत्र' में भागने के लिए कहा था.

बताते चलें कि यहां सबसे बड़ा विस्थापन युद्ध के छठे दिन हुआ, जब इज़राइल ने गाजा के उत्तरी हिस्से के सभी निवासियों को दक्षिण की ओर भागने के लिए सिर्फ़ छह घंटे दिए थे. बताया जा रहा है कि दस में से नौ गाजा निवासी विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें से ज़्यादातर दक्षिणी तट पर हैं.

युद्ध विराम समझौते में यह प्रावधान है कि निवासियों को युद्ध विराम के सातवें दिन, रविवार 26 जनवरी से उत्तर की ओर लौटने की अनुमति दी जाएगी. फिर भी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह क्षेत्र वापस लौटने वाले लोगों की आमद को संभाल सकता है, खासकर गाजा शहर के उत्तर में स्थित क्षेत्र.

अनुमान है कि इस क्षेत्र में 70% इमारतें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गई हैं, और वर्तमान में केवल एक चालू अस्पताल है. युद्धविराम समझौते में उत्तर की ओर लौटने वाले लोगों के बड़े पैमाने पर पलायन की आशंका है, जिसके लिए सभी सहायता का आधा हिस्सा वहां भेजा जाना आवश्यक है.

समझौते में यह निर्धारित किया गया है कि 600 सहायता ट्रकों को प्रतिदिन गाजा में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए. पूर्व में यहां केवल  प्रतिदिन औसतन केवल 67 ट्रक एंट्री करते थे.  

कई एजेंसियों के पास मानवीय सहायता से भरे ट्रकों का बैकलॉग है. जिन्हें गाजा में ले जाया जाना है, लेकिन क्योंकि इजरायल कभी भी हमला कर देता इसलिए लोगों को उचित मदद नहीं मिली. 

बताया ये भी जा रहा है कि इस समय गाजा के निवासी पानी की भारी कमी का सामना कर रहे हैं.  ज्ञात हो कि युद्ध से पहले, 80% पानी का उत्पादन भूजल कुओं से होता था लेकिन युद्ध के बाद जिस तरह इजरायल ने मिसाइलें दागी उसने भूजल को पूर्णतः नष्ट कर दिया. 

सहायता एजेंसियों का अनुमान है कि उत्तरी गाजा में केवल 8% कुओं तक ही अब पहुंच है. उत्तर में एकमात्र समुद्री जल विलवणीकरण संयंत्र, जो पीने के पानी का एक प्रमुख स्रोत था, लड़ाई में नष्ट हो गया.

भले ही जल स्रोतों की मरम्मत की जा सके, लेकिन इसे वितरित करने वाले बुनियादी ढांचे को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा है. सहायता एजेंसियों के एक समूह, वाश क्लस्टर के अनुसार, गाजा में पाइपलाइनों को नुकसान का मतलब है कि उनके माध्यम से भेजा जाने वाला 70% पानी वर्तमान में लीक हो रहा है.

स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, गाजा के 36 अस्पतालों में से आधे सेवा से बाहर हैं. बाकी आधे केवल आंशिक रूप से काम कर रहे हैं, जो चिकित्सा आपूर्ति, ईंधन और कर्मियों की कमी का परिणाम है.

जबकि घरों और बुनियादी ढांचे को फिर से बनाया जा सकता है, इस विनाशकारी संघर्ष में खोई गई जानों का असर इजरायल और फिलिस्तीनी समाज दोनों पर भारी पड़ेगा.

इज़रायली अधिकारियों के अनुसार, 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमले में 1,195 लोग मारे गए थे, जिसके कारण 2023 में युद्ध छिड़ गया था, जिसमें 815 नागरिक शामिल थे.

फ़िलिस्तीनी उग्रवादी समूह और उसके सहयोगियों ने महिलाओं और बच्चों सहित 251 लोगों को बंधक बनाकर वापस गाजा पट्टी ले गए.

इज़रायल ने विनाशकारी हवाई और ज़मीनी हमले किए, जिसके बारे में फ़िलिस्तीनी अधिकारियों का कहना है कि इसमें कम से कम 46,788 लोग मारे गए हैं और 110,453 अन्य घायल हुए हैं. इसका मतलब है कि युद्ध शुरू होने के बाद से गाजा में हर 14 फ़िलिस्तीनियों में से एक मारा गया है या घायल हुआ है.

ये आंकड़े गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के हैं, जो इस क्षेत्र की हमास के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा है.

युद्ध के मद्देनजर इजरायल के विषय में एक चौंकाने वाला तथ्य ये है कि इजरायल ने नागरिकों और लड़ाकों के बीच अंतर नहीं किया, रिपोर्ट की गई मौतों में से केवल 41% सैन्य आयु के पुरुष हैं.  बाकी महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग लोग हैं.

गाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि 1,410 परिवार 'पूरी तरह से खत्म हो गए' हैं, और 3,463 ऐसे हैं जिनमें केवल एक जीवित सदस्य बचा है. बताया ये भी जा रहा है कि कम से कम 35,055 बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है.

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