धर्म
नाग पंचमी का त्योहार नाग देवता और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है. कुंडली में उत्पन्न होने वाले अत्यंत अशुभ कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी इसे महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है.
नाग पंचमी का त्यौहार बहुत ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. यह त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और यह नाग देवता को समर्पित है. नाग पंचमी का त्यौहार नाग देवता और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है. साथ ही कुंडली में होने वाले अत्यंत अशुभ काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. क्योंकि काल सर्प दोष व्यक्ति को हर क्षेत्र में बहुत परेशान करता है.
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की मूर्ति और शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इससे जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और भगवान शिव और नाग देवता की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
किस दिन है नाग पंचमी
इस साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 29 जुलाई को रात 11:24 बजे से शुरू होकर 30 जुलाई को दोपहर 12:46 बजे तक रहेगी. इसलिए उदय तिथि के अनुसार इस साल नाग पंचमी 29 जुलाई 2025 मंगलवार को मनाई जाएगी. नाग पंचमी की पूजा का सबसे अच्छा समय 29 जुलाई को सुबह 05:41 बजे से 08:23 बजे तक रहेगा.
काल सर्प योग कब बनता है
काल सर्प योग तब बनता है जब सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि) राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं. इसे एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय संयोजन माना जाता है, और इसके प्रभाव चुनौतीपूर्ण और परिवर्तनकारी दोनों हो सकते हैं.
काल सर्प दोष होने पर क्या होता है
इस योग वाले व्यक्तियों को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में, जैसे कि करियर, रिश्ते और स्वास्थ्य, अनेक बाधाओं, देरी और असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है.
घर पर कैसे करें नाग पंचमी पूजा
इस दिन दीवार या फर्श पर सांप का चित्र बनाया जाता है. कई घरों में मिट्टी या चांदी के सांप लाकर उनकी पूजा की जाती है. सांप की मूर्ति या चित्र पर दूध, लाख और गेहूं के आटे का प्रसाद चढ़ाया जाता है. पूजा में दूर्वा, दही, गंध, अक्षत और फूल चढ़ाए जाते हैं. नाग पंचमी के दिन पका हुआ भोजन खाने का रिवाज है, क्योंकि इस दिन तवे या चाकू का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
अब ऐसा करना है अपराध
कुछ जगहों पर जीवित सांप के पास जाकर उसकी पूजा करने की परंपरा है, लेकिन अब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और सांपों के स्वास्थ्य के कारण इसका विरोध किया जा रहा है. अभी भी कई जगहों पर प्रतीकात्मक पूजा या सांप की पूजा करके नाग देवता को प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है.
बत्तीस शिराला (सांगली जिला) एक ऐसा गांव है जो जीवित सांपों की पूजा के लिए प्रसिद्ध है. पहले यहां जीवित सांपों की बड़ी-बड़ी बारात निकाली जाती थी. हालांकि, 2002 से इस पर कानूनी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
(Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और लोक मान्यताओं पर आधारित है. अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें.)
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