डीएनए एक्सप्लेनर
आप की सफलता या असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह उन 30 प्रतिशत वोटरों को अपने पाले में वापस लाने में सक्षम है या नहीं, जैसा कि उसने 2015 और 2020 में किया था। मारा जा रहा है कि यही तीस प्रतिशत वोट दिल्ली में केजरीवाल और आप का भविष्य तय करेंगे.
लोकसभा से लेकर निकाय चुनावों तक, कई मौकों पर दिल्ली ने चुनावी पंडितों को मुंह की खाने पर मजबूर किया है. एकमुश्त राय यही रहती है कि दिल्ली के वोटर की मनोदशा को समझना मुश्किल ही नहीं, नामुकिन है. पिछले एक दशक में दिल्ली ने लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी और विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को वोट दिया है. चुनावों के तहत जैसा दिल्ली के वोटर्स का टेस्ट है, सवाल लाजमी हो जाता है कि क्या यह रुझान 2025 में भी जारी रहेगा?
यूं तो इस सवाल के कई जवाब हो सकते हैं. लेकिन तब, जब हम स्विंग वोटर्स को दिल्ली चुनावों का आधार मानें. जी हां सही सुना आपने. स्विंग वोटर्स ही वो कड़ी हैं, जो इस बात का निर्धारण करेंगे कि, दिल्ली में सत्ता किसकी होगी? सरकार कौन बनाएगा?
उपरोक्त बातों को समझने के लिए हम 2013 के विधानसभा चुनावों का रुख कर सकते हैं. जिसे आम आदमी पार्टी के लिए निर्णायक माना जाता है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये वही दौर था जब एक पार्टी के रूप में आम आदमी पार्टी ने मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में एंट्री ली थी और अपना पहला चुनाव लड़ा और 30% वोट शेयर दर्ज किया. तब भाजपा को 33% और कांग्रेस को 25% वोट मिले थे.
इसके बाद वो समय भी आया जब 2014 के आम चुनाव हुए और इसमें AAP ने 3% वोट शेयर हासिल किया. जिक्र यदि भाजपा के वोट शेयर का हो तो उस समय भाजपा को 13% और कांग्रेस को 10% वोट मिले थे. 2015 के विधानसभा चुनावों में AAP ने 2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले 21 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया.
2019 के लोकसभा चुनाव में 2015 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले आप को 36 प्रतिशत वोटों का नुकसान हुआ, भाजपा को 25 प्रतिशत और कांग्रेस को 13 प्रतिशत का फायदा हुआ. 2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने 36 प्रतिशत वोट शेयर फिर से हासिल कर लिया जब भाजपा और कांग्रेस का वोट शेयर 18-18 प्रतिशत था.
2024 के लोकसभा चुनाव में आप को फिर से 30 प्रतिशत वोटों का नुकसान हुआ, जबकि भाजपा को 16 और कांग्रेस को 15 प्रतिशत का फायदा हुआ. 2024 के लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस सहयोगी थे. लेकिन अब वे एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं.
कुल मिलाकर आप की सफलता या विफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह 30 प्रतिशत स्विंग वोटर को अपने पाले में वापस ला पाती है या नहीं, जैसा कि उसने 2015 और 2020 में किया था.
माना जा रहा है कि अगर भाजपा और कांग्रेस 15 प्रतिशत स्विंग वोटरों में से पांच प्रतिशत को भी अपने पाले में रखती हैं, तो आप का वोट शेयर 44 प्रतिशत तक गिर जाएगा और भाजपा के वोट प्रतिशत में 44 प्रतिशत तक की बढ़त देखने को मिलेगी.
वहीं कांग्रेस को इससे नौ प्रतिशत तक का फायदा होगा. पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि ऐसा हुआ तो आप को 2025 के इस विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ेगा.
तो आखिर कौन हैं दलों की किस्मत बदलने वाले ये स्विंग वोटर?
दिल्ली के मिजाज को देखें तो मिलता हैं कि यहां करीब 30 फीसदी सवर्ण मतदाता ऐसे हैं जो स्विंग वोटर की भूमिका में हैं. ध्यान रहे 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 75 फीसदी सवर्णों का समर्थन मिला था. 2020 के विधानसभा चुनाव में यह घटकर 54 फीसदी रह गया.
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 12 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में घटकर तीन फीसदी रह गया. 2019 में आप को 13 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में बढ़कर 41 फीसदी हो गया. सीएसडीएस के चुनाव-पश्चात सर्वेक्षण के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव में आप के 29 फीसदी सवर्ण मतदाता भाजपा (18 फीसदी) और कांग्रेस (12 फीसदी) की ओर चले गए.
दिल्ली में करीब 25-30 फीसदी ओबीसी मतदाता स्विंग वोटर हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 64 फीसदी ओबीसी समर्थन मिला था. 2020 के विधानसभा चुनाव में यह घटकर 50 फीसदी रह गया. 2019 में कांग्रेस को 18 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में घटकर सिर्फ दो फीसदी रह गया.
हालांकि, 2019 में आप के 18 फीसदी ओबीसी वोट 2020 में बढ़कर 49 फीसदी हो गए. चुनाव बाद के सर्वेक्षण के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव में आप के 29 फीसदी ओबीसी मतदाता भाजपा (8 फीसदी) और कांग्रेस (17 फीसदी) के पाले में चले गए.
दिल्ली में करीब 45-50 फीसदी दलित मतदाता स्विंग वोटर हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 44 फीसदी दलित समर्थन मिला था, जो 2020 के विधानसभा चुनावों में घटकर 25 फीसदी रह गया.
2019 में कांग्रेस का 20 फीसदी दलित समर्थन 2020 में घटकर छह फीसदी रह गया और आप का 2019 में 22 फीसदी समर्थन 2020 में बढ़कर 69 फीसदी हो गया. 2024 के लोकसभा चुनावों में आप के 41 फीसदी दलित मतदाता भाजपा (24 फीसदी) और कांग्रेस (14 फीसदी) में चले गए.
दिल्ली में करीब 55 फीसदी-60 फीसदी मुस्लिम मतदाता स्विंग वोटर हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को सात फीसदी मुस्लिम समर्थन मिला था, जो 2020 के विधानसभा चुनावों में घटकर तीन फीसदी रह गया.
2019 में कांग्रेस का 66 प्रतिशत मुस्लिम समर्थन 2020 में घटकर 13 प्रतिशत हो गया और आप का 2019 में 28 प्रतिशत समर्थन 2020 में बढ़कर 83 प्रतिशत हो गया। 2024 के लोकसभा चुनावों में आप के 34 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता भाजपा (11 प्रतिशत) और कांग्रेस (21 प्रतिशत) में चले गए।
क्या बता रहा है गणित?
उपरोक्त दिए गए आकड़ों के बाद ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि आप को उन मतदाताओं को अपने पाले में लाने की जरूरत है, जिन्होंने एक साल से भी कम समय पहले लोकसभा में भाजपा और कांग्रेस का समर्थन किया था. दिल्ली में आप का बेसवोट शेयर 20-25 प्रतिशत है, जबकि भाजपा का 35-40 प्रतिशत है.
2020 के विधानसभा चुनावों की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनावों में अपर कास्ट के 29 प्रतिशत वोट खिसककर भाजपा और कांग्रेस की झोली में चले गए. इसी तरह आप को 29 प्रतिशत ओबीसी, 41 प्रतिशत दलित और 34 प्रतिशत मुस्लिम वोटों से भी हाथ धोना पड़ा. और रोचक ये कि ये वोट भी कांग्रेस और भाजपा के पाले में गए.
सोशियो इकोनोमिक वर्गों के संदर्भ में, 2019 और 2020 के चुनावों के बीच AAP ने 37 प्रतिशत गरीब मतदाताओं को भाजपा (19 प्रतिशत) और कांग्रेस (17 प्रतिशत) को सौंप दिया. साथ ही आप 21 प्रतिशत मध्यम वर्ग के मतदाताओं को भी रोकने में नाकाम रही, इसके अलावा आप 28 प्रतिशत अपर क्लास वोटर्स से भी हाथ धो बैठी.
चुनाव जीतने के लिए आप को भाजपा और कांग्रेस से 29 प्रतिशत स्वर्ण, 29 प्रतिशत ओबीसी, 41 प्रतिशत दलित और 34 प्रतिशत मुस्लिम वोट वापस खींचने की जरूरत है। इसी तरह उसे गरीब मतदाताओं को भी अपने पाले में वापस लाना होगा. माना जा रहा है कि यही वोट (इसे ही स्विंग वोट समझा जाए)आम आदमी पार्टी के लिहाज से 2025 विधानसभा चुनावों में निर्णायक होंगे और उसे तीसरी बार सत्ता में लाएंगे.
2020 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में अपर कास्ट के 22 प्रतिशत मतदाताओं को खो दिया, जबकि कांग्रेस ने 10 प्रतिशत इन्हें खोया. आप ने इनमें से अधिकांश मतदाताओं (28 प्रतिशत) को अपने पाले में कर लिया. भाजपा और कांग्रेस ने ओबीसी मतदाताओं के 14 और 16 प्रतिशत वोट खो दिए, जिन्हें आप ने अपने पाले में कर लिया.
इसी तरह, भाजपा और कांग्रेस के दलित मतदाताओं के 19 और 14 प्रतिशत वोट आप (47 प्रतिशत) को मिले. जबकि भाजपा ने मुस्लिम मतदाताओं के 4 प्रतिशत और कांग्रेस ने 53 प्रतिशत वोट खो दिए, आप ने इन सभी (55 प्रतिशत) को अपने पाले में कर लिया.
ज्ञात हो कि स्विंग वोटर सभी जातियों, समुदायों, धर्मों और वर्गों से आते हैं. और माना यही जा रहा है कि 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में स्विंग वोटर्स अपने मतदान के जरिये इस बात का निर्धारण करेंगे कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा?
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