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      Iran News: ईरान के सुप्रीम कोर्ट में घुसकर दो जजों की हत्या, इस्लामिक रिवॉल्यूशन से था कनेक्शन

      Iran Supreme Court Attack​: ईरान की सुप्रीम कोर्ट में घुसकर दो जजों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई है. ये दोनों जज मौत की सजा देने के लिए कुख्यात थे.

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      Iran News: ईरान के सुप्रीम कोर्ट में घुसकर दो जजों की हत्या, इस्लामिक रिवॉल्यूशन से था कनेक्शन

      Iran Supreme Court Attack: ईरान में पूरी दुनिया को हिलाने वाला हादसा हुआ है. ईरान की राजधानी तेहरान में मौजूद सुप्रीम कोर्ट में घुसकर दो जजों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई है. शनिवार को हुए इस हमले में एक गार्ड भी घायल हुआ है. इस हमले ने पूरे ईरान को हिलाकर रख दिया है. हमलावर ने भी मौके पर ही खुद को गोली मारकर सुसाइड कर ली है. इस हमले में मारे गए जजों की पहचान जस्टिस मौलवी मोहम्मद मोगीसेह और जस्टिस अली रजिनी के तौर पर हुई है. इन दोनों जजों को बेहद सख्त मिजाज का माना जाता था और ये मौत की सजा देने के लिए कुख्यात थे. खासतौर पर उनका कनेक्शन 1988 में हुई इस्लामिक रिवॉल्यूशन से जोड़ा जाता है, जिसके विरोधियों को इन दोनों जजों ने बड़े पैमाने पर मौत की सजा सुनाई थी. इसके लिए उन पर अमेरिका की तरफ से भी बैन लगाया गया था.

      हैंडगन से लैस था हमलावर, जजों को कोर्ट पहुंचते ही किया हमला
      मीडिया रिपोर्ट्स में ईरान की सरकारी मीडिया के हवाले से बताया गया है कि हमलावर सुप्रीम कोर्ट में ही काम करता था. सुप्रीम कोर्ट प्रवक्ता असगर जहांगीर ने इसकी पुष्टि की है. वह हैंडगन लेकर सुप्रीम कोर्ट में जजों का इंतजार कर रहा था. मौलवी मोहम्मद मोगेहसेह और अली रज‍िनी के कोर्ट पहुंचते ही उसने फायरिंग शुरू कर दी. दोनों जज गोली लगते ही मौके पर ढेर हो गए. एक गोली उनके बॉडीगार्ड को भी लगी है, जो घायल है.

      रजिनी पर पहले भी हुआ था हमला
      जस्टिस अली रजिनी पर इससे पहले भी एक बार हत्या की कोशिश में हमला हो चुका था. रजिनी पर 1999 में भी कोर्ट से लौटते समय बम फेंककर हमला किया गया था, लेकिन वह गंभीर घायल होने के बावजूद बच गए थे. ली रजिनी ने कई वरिष्ठ पदों पर काम किया है, जिसमें तेहरान में रिवोल्यूशनरी कोर्ट के अभियोजक, तेहरान प्रांत के मुख्य न्यायाधीश, विशेषज्ञों की सभा के सदस्य, इस्लामिक गणराज्य के सशस्त्र बलों के न्यायिक संगठन के प्रमुख और पादरी के लिए विशेष न्यायालय के प्रमुख शामिल हैं. 

      इस्लामिक रिवॉल्यूशन का विरोध करने पर 5,000 से ज्यादा को दी मौत की सजा
      जस्टिस रजिनी और जस्टिस मोगीसेह को बेहद सख्त माना जाता था. आरोप है कि उन्होंने इस्लामिक रिवॉल्यूशन का विरोध करने वाले लोगों को बिना सबूतों के फांसी की सजा सुनाई थी. मीडिया रिपोर्ट्स में 5,000 से ज्यादा लोगों को इन जजों द्वारा फांसी की सजा सुनाने का दावा किया जाता है. मौलवी मोगेहसेह ने साल 2019 में पत्रकारों और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को 127 साल जेल की सजा सुनाई थी. हालांकि जज रज‍िनी ने 2017 में एक इंटरव्‍यू में कहा था, मैं और मेरे मित्र ने उस वक्‍त और उसके बाद देश को सुरक्ष‍ित बनाए रखने की पूरी कोश‍िश की है. हमने गारंटी दी है क‍ि पाखंडी (मुजाहिदीन-ए-खल्क) इस देश में कभी भी शक्तिशाली नहीं हो सकते. मौलवी मोगीसे को अमेरिका ने 2019 में नरसंहार करने वाला जज बताते हुए उन पर बैन लगा दिया था.
      (With PTI Inputs)

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