डीएनए एक्सप्लेनर
DNA TV Show: क्रिकेट को भारत में पूजा जाता है, लेकिन यदि बात ब्लाइंड क्रिकेट की हो तो शायद ही आप किसी खिलाड़ी को जानते होंगे. इसी भेदभाव के DNA को पेश करती कपिल वशिष्ठ और किरण चोपड़ा की ये रिपोर्ट.
DNA TV Show: आज हम देश में ब्लाइंड क्रिकेट की बदहाल दशा और दिशा की बात करेंगे. ये ऐसा मुद्दा है जो किसी की नजर में नहीं आता. कितने दुख की बात है कि जिस देश में क्रिकेट को पूजा जाता है और क्रिकेटर्स को भगवान समझा जाता है, उस देश में ब्लाइंड क्रिकेट और ब्लाइंड क्रिकेटर्स, गुमनामी के अंधेरे में खो गए हैं. ये एक ऐसा मुद्दा है, जिसकी तरफ किसी की नजर नहीं जाती, जिसके बारे में कोई बात भी नहीं करना चाहता, लेकिन आज हम भारत में ब्लाइंड क्रिकेट के हक की आवाज बनेंगे. आपको ये तो पता होगा कि कपिल देव और धोनी की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम ने अबतक तीन वर्ल्डकप जीते हैं. लेकिन हम गारंटी से ये दावा कर सकते हैं कि आपको ये नहीं पता होगा कि भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम पांच वर्ल्डकप जीत चुकी है.
कैसे पता होगा, आपमें से कई लोगों को तो ये भी नहीं पता होगा कि भारत की कोई ब्लाइंड क्रिकेट टीम है. लेकिन गलती आपकी नहीं है. जिन लोगों को, जिन संस्थाओं को, जिस सिस्टम को, भारत में ब्लाइंड क्रिकेट को प्रमोट करना चाहिए था, वो तो इस तरफ आंखें बंद करके बैठे हैं. लेकिन हम अतीत की बात नहीं करेंगे, क्योंकि हम भारत में ब्लाइंड क्रिकेट के सुनहरे भविष्य को देखना चाहते हैं. हमारे सवाल एकदम सीधे और सिंपल हैं-
आज के DNA में हम इन सवालों का सिर्फ विश्लेषण नहीं कर रहे हैं बल्कि मुहिम की शुरुआत कर रहे हैं. इस मुहिम का सिर्फ एक ही मकसद है- भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट और ब्लाइंड क्रिकेटर्स को उनका हक और उचित सम्मान दिलवाना.
दोनों ही टीम ब्लू, लेकिन मैच फीस में है जमीन-आसमान का अंतर
ब्लाइंड क्रिकेटर भी वैसे ही देश के लिए खेलते हैं जैसे बाकी क्रिकेटर. ब्लाइंड क्रिकेट टीम भी देश के लिए टूर्नामेंट्स जीतती है. लेकिन उनके बारे में कोई क्यों नहीं सोचता? ब्लाइंड क्रिकेटर भी किसी से कम टैलेंटेड नहीं हैं. वो भी साल भर क्रिकेट खेलते हैं, ट्रेनिंग करते हैं. देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां एक तरफ BCCI क्रिकेट पर पानी की तरह पैसा बहाता है और हर साल क्रिकेट से हजारों करोड़ रुपये कमाता है. हर क्रिकेटर पर पैसों की बरसात होती है. वहीं, दूसरी तरफ ब्लाइंड क्रिकेटर्स को एक Fixed Salary तक नहीं मिलती. ब्लाइंड क्रिकेटर्स को मैच फीस के तौर पर सिर्फ तीन हजार रुपये मिलते हैं और ये पैसे भी उन्हें ट्रस्ट को दान में मिले पैसों से दिए जाते हैं. इतने पैसे तो आप अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने पर उड़ा देते होंगे.
अब अगर ब्लाइंड क्रिकेटर्स की मैच फीस की तुलना करें तो रोहित शर्मा की टीम के हर खिलाड़ी को एक वनडे मैच खेलने के लिए 6 लाख रुपये सिर्फ मैच फीस के मिलते हैं, जबकि एक टी-20 मैच खेलने की फीस 3 लाख रुपये हैं. अब सोचिये, एक तरफ तो BCCI रोहित शर्मा की टीम को एक वनडे मैच खेलने के लाखों रुपये दे रही है और दूसरी तरफ देश को ब्लाइंड क्रिकेट वर्ल्ड कप जिताने वाले क्रिकेटर्स को सिर्फ तीन हजार रुपये मिलते हैं.
ना कोच और ना स्टेडियम, ना मिलता है स्पॉन्सर
पांच वर्ल्ड जीतने वाली ब्लाइंड क्रिकेट टीम के पास कोई Fixed Coach तक नहीं है. ब्लाइंड क्रिकेटर्स को अगर मैच खेलना हो या प्रैक्टिस करनी हो तो उनके लिए पूरे देश में कोई एक Fixed Ground या Stadium तक नहीं है. अगर किसी टूर्नामेंट में हिस्सा लेना हो तो ब्लाइंड क्रिकेट टीम फेडरेशन को उन्हें कोई स्पॉन्सर तक मिलना मुश्किल हो जाता है. किराये पर स्टेडियम लेकर टूर्नामेंट करवाने पड़ते हैं.
इतनी कठिनाइयों के बावजूद भारत की ब्लाइंड क्रिकेट टीम पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रही है. बिना किसी सरकार मदद के पांच वर्ल्ड कप जीतना कोई आसान काम नहीं है. इसी से पता चलता है कि अगर ब्लाइंड क्रिकेटर्स को सही दिशा मिले, सही कोच मिले तो वो क्या कर सकते हैं. इसलिए हम BCCI से डिमांड कर रहे हैं कि ब्लाइंड क्रिकेट को मान्यता दो.
भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट के इन नामों को जानिए
हम आपको मिला रहे हैं भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट से जुड़े पांच सितारों से, जिनके बारे में जानना तो दूर आपको उनके नाम भी नहीं पता होंगे. इसलिए हम आपको उनसे मिला रहे हैं. ये हैं भारतीय ब्लाइंड टीम के कप्तान दुर्गा राव, टीम के कोच मोहम्मद इब्राहिम, टीम के सीनियर प्लेयर अजय कुमार रेड्डी, संजय कुमार और क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन इंडिया के सेक्रेटरी शैलेंद्र यादव. अजय कुमार रेड्डी को इस साल केंद्र सरकार ने अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया है. हमने इन सभी से पूछा है कि उनकी क्या उम्मीदें हैं? किस तरह की सपोर्ट वो चाहते हैं BCCI से? यादव से हमने पूछा है कि खिलाडियों को क्यों सिर्फ एक मैच के तीन हजार रुपये ही मिल पाते हैं?
अब जान लीजिए कितनी चैलेंजिंग है ब्लाइंड क्रिकेट
ब्लाइंड क्रिकेट को पहचान और ब्लाइंड क्रिकेटर्स को उचित सम्मान दिलवाने की अपनी इस मुहिम को आगे बढ़ाने से पहले हम आपको ये बताना चाहते हैं कि पांरपरिक क्रिकेट से ब्लाइंड क्रिकेट कितना अलग होता है और कितना ज्यादा चैलेंजिंग होता है. इंटरनेशनल क्रिकेट हो या फिर गली क्रिकेट, नियम सभी में कमोबेश एक जैसे होते हैं. गली क्रिकेट में कई बार जगह के हिसाब से कुछ नियम बदल दिए जाते हैं. Blind क्रिकेटर्स के लिए भी क्रिकेट के नियम अलग होते हैं. दृष्टिबाधित लोगों के लिए नियम भी उनकी सहूलियत के हिसाब से बदले गए हैं. अगर आप क्रिकेट खेलते हैं तो एक बार जरा आंखें बंद करके क्रिकेट खेलने की कोशिश कीजिएगा. आपको अंदाजा हो जाएगा कि ये कितना मुश्किल है. इसीलिए Blind क्रिकेटर्स के लिए नियमों में कुछ बदलाव किए जाते हैं. इनका क्रिकेट कुछ अलग स्टाइल का होता है.
Blind क्रिकेटर्स की टीम भी अलग तरीके से चुनी जाती है. हालांकि इसमें भी बैटर, बॉलर और फील्डर होते हैं. टीम में खिलाड़ियों की संख्या भी मैदान में 11 ही रखी जाती है.
बॉल भी होती है आम क्रिकेट बॉल से अलग
इसके अलावा Blind Cricket में क्रिकेट के सामान्य नियम ही लागू होते हैं, जैसे No Ball पर फ्री हिट या आउट होने के अन्य नियम. आप सोचकर देखिए कि एक दृष्टिबाधित खिलाड़ी को इस तरह से क्रिकेट खेलने के लिए कितनी प्रैक्टिस और मेहनत करनी पड़ती होगी?
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड दे चुका है अपनी ब्लाइंड टीम को मान्यता
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी अपने यहां ब्लाइंड क्रिकेट टीम को मान्यता दी है, जबकि हमारे देश में क्रिकेट को धर्म की तरह माना जाता है। फिर ब्लाइंड क्रिकेटर्स के साथ इतना भेदभाव क्यों किया जाता है. यहां सवाल उठते हैं कि-
अगर BCCI ब्लाइंड क्रिकेट को मान्यता देती है, तो हमारे देश के इन क्रिकेटर्स की ज़िंदगी 360 डिग्री तक बदल जाएगी. भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट और क्रिकेटर्स को नई पहचान मिलेगी.
BCCI साथ दे तो मिल सकता है ये लाभ
BCCI की कमाई देखिए, क्या उसे पड़ेगा कोई फर्क?
सामान्य क्रिकेट में A+ कैटेगरी के खिलाड़ी को 7 करोड़ रुपये सालाना सैलरी देने वाले BCCI के लिए ब्लाइंड क्रिकेट टीम को मान्यता देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा बल्कि दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड इससे आय के नए साधन जुटाने में ही सफल होगा. वैसे भी BCCI की कमाई के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं. अगस्त 2023 में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने BCCI की Income को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में राज्यसभा में आंकड़े सार्वजनिक किये थे, जिसके मुताबिक-
यहां कहने का मतलब ये कि अगर ब्लाइंड क्रिकेट टीम को BCCI मान्यता देकर कुछ करोड़ रुपये उनपर खर्च कर देता है, तो BCCI के ख़जाने पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन पहचान को मोहताज हमारे ब्लाइंड क्रिकेटर्स को ना सिर्फ नई पहचान मिलेगी बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा.
Blind Cricket खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए कुछ खास नियमों में ही बदलाव किए गए हैं, लेकिन क्रिकेट के बेसिक नियमों को एक जैसा रखा गया है. जिस तरह से टीम इंडिया के खिलाड़ी देश की जीत के लिए दम लगाते हैं, ठीक वैसे Blind Cricket टीम के खिलाड़ी भी अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करके, विपक्षियों को हराने की कोशिश करते हैं. जितनी मेहनत टीम इंडिया के खिलाड़ी करते हैं, उतनी ही मेहनत ये भी कर रहे हैं. जीत हासिल करने का जो जज्बा आप विराट, रोहित या किसी अन्य खिलाड़ी में देखते हैं, वैसा ही जज्बा Blind Cricketers के अंदर भी होता है. लेकिन अफसोस इनको वो सब नहीं मिल पाता है, जो बाकी Cricketers को मिलता है.
महिला क्रिकेट से समझिए BCCI के सपोर्ट का फर्क
इसी महीने 17 तारीख को Women's Premier League का फाइनल मैच खेला जाना है. आपमें से बहुत से लोगों को ये मालूम होगा. लेकिन बहुत ज्यादा नहीं, करीब 10 वर्ष पहले अगर हमने आपसे महिला क्रिकेट को लेकर कुछ पूछा होता, तो शायद आपको कुछ भी पता नहीं होता. आज आप कई महिला क्रिकेटर्स के नाम जानते होंगे, उनके रिकॉर्ड भी जानते होंगे. यही नहीं आज महिला क्रिकेट मैच के दौरान स्टेडियम भी फुल नजर आते हैं. ये सब BCCI की वजह से हुआ है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं ये आपको बताना चाहते हैं.
आपको हैरानी होगी जानकर, कि वर्ष 1973 में Women's Cricket Association Of India (WCAI) बनाया गया था, जिसका मकसद भारत में महिला क्रिकेट को बढ़ावा देना था.
सिर्फ भारत में ही नहीं मिली है ब्लाइंड क्रिकेट को मान्यता
हमारी मुहिम है कि हम अपने देश के Blind Cricketers को भी उनका हक दिलवाएं. हमारी अपील है कि BCCI, उन Blind Cricketers को भी बढ़ावा दे, जो विदेश में जाकर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. जिस तरह से महिला क्रिकेट को BCCI ने बढ़ावा दिया है, उसी तरह से Blind Cricketers को भी मदद मिलनी चाहिए. हम ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं, क्योंकि अभी तक सिर्फ भारत में ही Blind Cricketers को वहां के क्रिकेट बोर्ड ने मान्यता नहीं दी है.
तो क्या भारत की क्रिकेट संस्था BCCI को अपने यहां के Blind Cricketers को मान्यता नहीं देनी चाहिए? हमारी BCCI से अपील है कि वो Blind Cricketers की संस्था CABI यानी CRICKET ASSOCIATION FOR THE BLIND IN INDIA के साथ जुड़कर, Blind Cricketers की मदद करे. इससे भारत के Blind Cricketers को मदद मिल सकेगी.
ब्लाइंड क्रिकेट का इतिहास भी जान लीजिए
ब्लाइंड क्रिकेटर्स ने देश का नाम रोशन किया है, मुश्किल हालात में, बिना किसी सपोर्ट के दुनिया में तिरंगा लहराया है. वनडे और टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया चैंपियन बनी है, लेकिन क्या आपको पता है कि ब्लाइंड क्रिकेट की शुरूआत कहां से हुई? इसको लेकर आपको EXTRA जानकारी देते हैं.
पांच बार वर्ल्ड चैंपियन बन चुका है भारत
भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम चाहती है कि बीसीसीआई की नजर उनपर पड़े, उन्हें अच्छी ट्रेनिंग मिले, अच्छा कोच मिले, ब्लाइंड क्रिकेट को भी मान्यता मिले और ये इन खिलाड़ियों का हक भी है. क्योंकि ये देश के लिए खेल रहे है, देश का नाम रोशन कर रहे हैं. भारतीय क्रिकेट टीम अबतक 5 बार वर्ल्ड चैंपियन बन चुकी है.
आज DNA में इस खबर को दिखाने का हमारा मकसद ये है कि ब्लाइंड क्रिकेट टीम के भी अच्छे दिन आएं, ये भी भारत के स्टार हैं, चैंपियन हैं, देश का नाम रोशन कर रहे है, लेकिन इसके बावजूद BCCI की नजर इनपर नहीं पड़ रही है और यही इनका दुर्भाग्य है. BCCI, भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को तो करोड़ों रुपये देता है, लेकिन ब्लाइंड क्रिकेट टीम के लिए उसके खजाने से पैसे नहीं निकलते. ये सच्चाई है, जिसे ये खिलाड़ी खुद बता भी रहे हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि bcci देश की ब्लाइंड क्रिकेट टीम को भी मान्यता दे और ब्लाइंड क्रिकेटर्स को उनका हक मिले.
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