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डीएनए एक्सप्लेनर
DNA TV Show: पूरी दुनिया इस समय दो गुटों में बंट गई है. ये गुट किसी युद्ध के नहीं हैं बल्कि जनसंख्या के मुद्दे पर बने हैं. एकतरफ वे देश हैं, जो जनसंख्या बढ़ने से परेशान हैं तो दूसरे गेट में वे देश हैं, जो घटती जनसंख्या से जूझ रहे हैं. इस समस्या का DNA पेश कर रही है ये रिपोर्ट.
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DNA TV Show: बढ़ती हुई जनसंख्या विस्फोट के बारे में आपने पहले भी कई बार सुना होगा, क्योंकि जनसंख्या वृद्धि आज के समय की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. जनसंख्या में बढ़ोतरी को कंट्रोल करने के लिए कई देश बड़े कदम उठा रहे हैं. लेकिन क्या आपने कभी घटती जनसंख्या से जूझने के बारे में सुना है? दुनिया में आज कई देशों की जनसंख्या घट रही है और घटती जनसंख्या की वजह से ये देश TENSION में हैं. घटती जन्मदर की वजह से इन देशों में जनसंख्या असंतुलन का संकट पैदा हो गया है. इससे बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है. दुनिया में ऐसे देशों के दो गुट बन गए हैं, जिनमें आधे बढ़ती आबादी से परेशान हैं तो आधे देश घटती आबादी को परेशानी मान रहे हैं. अभी दक्षिण कोरिया में प्रजनन दर दुनिया में सबसे कम यानी 0.72 प्रतिशत है. कुल प्रजनन दर, बच्चों की वो औसत संख्या है, जो एक महिला अपने प्रजनन काल के दौरान पैदा करती है.
दुनिया की जनसंख्या पर एक नजर
बढ़ती और घटती आबादी, दोनों ही संकट
किसी भी देश की आबादी अगर ज्यादा बढ़ जाए तो उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधन जुटाना मुश्किल हो जाएगा. मौजूदा संसाधनों पर बोझ बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा. लेकिन जिन देशों में जन्मदर घट रही है, वहां भी संकट बहुत विक्राल है. इन देशों में बूढ़े लोगों की संख्या तो तेजी से बढ़ रही है, लेकिन बच्चों की जन्मदर उससे भी तेज़ी से घट रही है. जीवन में संतुलन बहुत जरूरी होता है. जीवन संतुलन से ही सधता है, जरा सा असंतुलन सबकुछ बिगाड़ देता है. लेकिन आजकल जनसंख्या असंतुलन कई देशों की परेशानी का कारण बना हुआ है. हाल ही में जापान और सिंगापुर की सरकारों ने बताया है कि देश में कितनी तेज़ी से जन्मदर गिर रही है.
पहले सिंगापुर की समस्या जान लीजिए
पहले बात सिंगापुर की करते हैं. सिंगापुर अपनी घटती जनसंख्या से परेशान है. सिंगापुर के प्रधानमंत्री कार्यालय की मंत्री इंद्रानी राजाह ने सिंगापुर की पार्लियामेंट में जानकारी देते हुए कहा है कि
क्यों चिंता में डूबा हुआ है सिंगापुर?
सिंगापुर अब उन देशों में शामिल हो गया है, जिनमें जनसंख्या, खतरनाक स्तर पर कम हो रही है. सिंगापुर इन दिनों दोहरे संकट से जूझ रहा है. एकतरफ सिंगापुर में जन्म दर और प्रजनन दर तेजी से नीचे गिरी है तो दूसरी तरफ देश की आबादी बूढ़ी हो रही है. ऐसा ही रहा तो आने वाले कुछ सालों में सिंगापुर में काम करने वाले लोगों की कमी हो जाएगी, जिसका सीधा असर सिंगापुर की अर्थव्यवस्था पर होगा.
क्या हैं सिंगापुर के संकट के 4 कारण
आपके दिमाग में भी ये सवाल आ रहा होगा कि सिंगापुर को इस संकट ने अचानक कैसे घेर लिया और इसके कारण क्या है? दरअसल, सिंगापुर में जनसंख्या कम होने की कई वजह हैं.
ऐसे बचाव कर रहा है सिंगापुर
जनसंख्या असंतुलन को संभालने के लिए सिंगापुर सरकार कई कदम उठा रही है. सिंगापुर में बेबी बोनस के तौर पर माता-पिता को 10,000 सिंगापुर डॉलर यानि करीब 6 लाख रुपये दिए जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां प्रजनन दर और जन्मदर गिर रही है. जो सिंगापुर की सबसे बड़ी समस्या बन गया है.
जापान भी जूझ रहा है इसी समस्या से
जन्मदर का तेज़ी से गिरना, बूढ़े लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ना, ये सिर्फ सिंगापुर की समस्या नहीं है. जापान का भी SAME TO SAME यही हाल है. जापान में बच्चे पैदा नहीं हो रहे हैं, जिससे एक देश, एक समाज के तौर पर संतुलन बनाए रखने में ये देश नाकाम हो रहा है. जापान सरकार ने इस पर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में जापान सरकार ने वर्ष 2023 की बर्थरेट के बारे में बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि
जापान में घट रही हैं शादियां
40 साल में 30 फीसदी घट जाएंगे जापानी
जापान ने खूब तरक्की की है. यहां तेजी से शहरीकरण हुआ है. लोगों के जीने का तरीका बदला. स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हुईं और इसी वजह से जापान का बर्थ रेट कम होता गया. ये सुनने में आपको अजीब जरूर लगेगा. लेकिन जापान की असली सच्चाई यही है. इसलिए अब जापान की सरकार भी इसे देश के सामने सबसे बड़ा संकट मान रही है.
बच्चे पैदा करने पर इनाम दे रहा जापान
दुनिया में कई देश बढ़ती आबादी की वजह से चिंतित है. बढ़ती आबादी को कंट्रोल करने के लिए कई प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. लेकिन जापान में स्थिति बिल्कुल अलग है. बूढ़े होते जापान में सरकार बच्चे पैदा करने के लिए युवाओं को इनाम तक दे रही है. जापान की फुमियो किशिदा सरकार नागरिकों को देश की राजधानी टोक्यो को छोड़ने के लिए कह रही है. टोक्यो में आबादी, क्षमता से ज्यादा है. इसलिए सरकार यहां के नागरिकों को एक million yen यानी क़रीब सवा 6 लाख रुपये दे रही है ताकि यहां के लोग टोक्यो से बाहर निकलकर बसें और दूसरे शहरों में जनसंख्या का संतुलन बना रहे हैं.
जापान के चीफ कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने इसे गंभीर स्थिति बताया है कि जापान सरकार, बच्चे पैदा करने पर पेरेंट्स को 3 लाख रुपए देती है. इसके अलावा घर बसाने के लिए तैयार युवाओं को छह लाख yen यानी करीब 4 लाख 25 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि देती है ताकि लोग शादी कर बच्चे पैदा करें, लेकिन इसके बावजूद जापान की जन्मदर हर वर्ष घट रही है.
इनाम भी क्यों नहीं लुभा रहा जापानियों को?
आपके दिमाग में भी ये सवाल आ रहा होगा कि जब फुमियो किशिदा सरकार, लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए 3 लाख रुपये तक की राशि दे रही है तो फिर क्यों जापान के लोग बच्चे पैदा नहीं कर रहे. अब इसकी वजह आपको बताते हैं.
जापान में पिछले कई वर्षों में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन भी तेजी से बढ़ा है. लिव-इन में रहने वाले युवा अपनी जिंदगी तो मजे से जी रहे हैं लेकिन वो मां-बाप नहीं बनना चाहते. यहां लोग बच्चों को 'झंझट' मानने लगे हैं. जापान की युवा लड़कियां शादी करने और बच्चे पैदा करने से दूरी बना रही है.
इन देशों में भी जनसंख्या में आ रही कमी
जापान जैसे विकसित देश में लोग बच्चे पैदा करने को बोझ समझने लगे है, जिसका असर जापान में पिछले कई वर्षों से दिख रहा है. दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां आबादी तेज़ी से घट रही है. इसमें जापान के साथ साथ अमेरिका, सिंगापुर, साउथ कोरिया और चीन जैसे देश भी हैं. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक-
भारत में भी घट रही है प्रजनन दर
National Family Health Survey के अनुसार, भारत में भी प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 रह गई है और पहली बार ये दर 2.1 यानी रिप्लेसमेंट लेवल के नीचे जा चुकी है. Replacement level वो दर होती है, जो किसी देश की घटने वाली आबादी को नई आबादी से replace करती है और अगर किसी देश की प्रजनन दर इसके नीचे चली जाए तो फिर उस देश की आबादी की growth negative हो जाती है और धीरे-धीरे आबादी घटने लगती है. जापान समेत दुनिया के कई देशों के साथ अब ऐसा ही हो रहा है. जो एक गंभीर समस्या है.
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