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डीएनए एक्सप्लेनर
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डीएनए हिंदी: Parliament News- संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में विपक्षी सांसदों के निलंबन का दौर मंगलवार को भी जारी रहा है. आज लोकसभा से कुल 49 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. इससे पहले 14 दिसंबर को लोकसभा और राज्यसभा से 14 सांसदों को निलंबित किया गया था. फिर आजाद भारत में पहली बार एक ही दिन में सोमवार को एक साथ 78 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. इस तरह मौजूदा संसद सत्र में अब तक लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 141 सांसदों को Suspend किया जा चुका है, जो कि एक Record है.
संसद के अंदर सरकार की नीतियों की आलोचना करना और उनका विरोध करना विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार होता है. लेकिन हमारे देश के माननीय सांसद इसे संसद में हंगामा करने का Permit मान लेते हैं और संसदीय मर्यादाओं को लांघ जाते हैं. इसका इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी पुरानी हमारी संसदीय परंपरा है. विरोध के नाम पर संसद सत्र में हंगामा करने, सत्र चलने में बाधा डालने, Speaker की Chair का अपमान करने की संसद में विपक्ष की परंपरा रही है. फिर चाहे सरकार किसी भी पार्टी या गठबंधन की क्यों ना रही हो. लेकिन मौजूदा शीतकालीन सत्र में विपक्ष के सांसदों के इस असंसदीय व्यवहार को दोनों सदनों के Speakers ने बर्दाश्त करने से इंकार कर दिया, इसी का नतीजा है कि विपक्ष के 141 सांसदों को अबतक निलंबित किया जा चुका है. फिर भी विपक्षी सांसद अपनी हरकतों से बाज आने के लिए तैयार नहीं हैं. संसद से निलंबित होने के बाद विपक्षी सांसद अब संसद के बाहर भी अपने विरोध के अधिकार का नाजायज़ इस्तेमाल कर रहे हैं.
उपराष्ट्रपति की नकल उतारना विकृत मानसिकता का सबूत
संसद सत्र से Suspension पर विपक्षी सांसदों का निराश होना या गुस्सा होना तो बनता है, लेकिन आज संसद भवन के Entry Gate पर बैठकर विपक्षी सांसदों ने अपनी नाराजगी जताई है. उसका वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में TMC सांसद कल्याण बनर्जी, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की Mimicry कर रहे हैं और राहुल गांधी उनका Video Record कर रहे हैं. इस वीडियो में TMC सांसद कल्याण बनर्जी, जिस तरह राज्यसभा के सभापति का मजाक उड़ा रहे हैं और जिस तरह वहां बैठे विपक्षी सांसद ठहाके लगाकर हंस रहे हैं. वो बेहद आपत्तिजनक भी है और घोर अपमानजनक भी है. विपक्षी सांसदों की बेशर्मी का ये Video हमारे देश के सांसदों की विकृत मानसिकता का सबूत है.
ये वीडियो आपने भी देखा होगा. क्या आपको कहीं से भी महसूस हुआ कि संसद से निलंबित होने पर विपक्षी सांसदों को कोई निराशा है या किसी तरह का अफसोस है? इसके बावजूद फिर पूरा विपक्ष कहता है कि संसद में उनकी आवाज का गला घोंटा जा रहा है. उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा. क्या राज्यसभा के सभापति का इस तरह अपमान करना विपक्षी सांसदों को शोभा देता है?
बाकी सांसद भी ऐसे व्यवहार पर सस्पेंड हो जाएं तो हैरानी कैसी
इस तरह के सड़कछाप बर्ताव के बाद भी क्या विपक्ष को लगता है कि आम जनता उनकी बात सुनेगी, उनका साथ देगी? सड़क हो या संसद. विपक्षी सांसदों को लगता है कि सरकार के विरोध के नाम पर वो चाहे सारी हदें क्यों ना पार कर दें. उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. इसी वजह से विरोध के नाम पर हंगामा करने वाले विपक्षी सांसदों को निलंबन की सजा. विपक्षी दल बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. भारतीय राजनीति के इतिहास ऐसा पहली बार हुआ है, जब संसद के किसी एक सत्र में रिकॉर्ड 141 विपक्षी सांसदों का सस्पेंड किया गया है. लेकिन ऐसा लगता है कि विपक्ष को 141 सांसदों के निलंबन की गंभीरता समझ नहीं आई है. विपक्ष के बचे-खुचे सांसद ऐसी हरकतें कर रहे हैं, जिसके बाद उन्हें भी सस्पेंड कर दिया जाये, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
इस बार उल्टा पड़ गया बवाल-हंगामे का हथियार
संसद के किसी सत्र में विपक्ष का हंगामा करना कोई नई बात नहीं है. ऐसा पहले भी होता आया है. दरअसल, विपक्ष को यही लगता है, कि संसद में अपनी बात रखने के लिए हंगामा करना जरूरी है और ये उनका अधिकार है. सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए कोई भी हद पार कर जाना उनका हक है. चाहे वो कितना ही बवाल करें, कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. संसद में हंगामा करने वाले सांसद यही सोचते हैं, कि उन्हें जनता ने चुनकर भेजा है. इसलिए वो जनता की बात संसद में रखने के लिए विरोध, हंगामे और बवाल का कोई भी तरीका अपना सकते हैं, लेकिन इसबार विपक्ष को अंदाजा नहीं था, कि सदन में बवाल करना इतना महंगा पड़ जायेगा कि रिकॉर्ड संख्या में सांसद सस्पेंड कर दिये जाएंगे.
जायज मांग रखने का तरीका तो सभ्य हो
रिकॉर्ड सस्पेंशन के बाद विपक्ष को लगता है कि संसद में उनकी आवाज को दबाया जा रहा है. वो तो संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर गृह मंत्री से जवाब मांग रहे थे. संसद की सुरक्षा को लेकर चर्चा चाहते थे. माना कि विपक्ष की ये मांग जायज थी. लेकिन अपनी बात रखने का एक सभ्य तरीका होता है. सरकार का विरोध करना गलत नहीं है, लेकिन उसका भी एक तरीका होता है. जिसे दरकिनार कर विपक्षी सांसदों ने सदन में हंगामा किया. संसद की सुरक्षा में चूक 13 दिसंबर को हुई थी, इसके अगले दिन यानी 14 दिसंबर को संसद में विपक्ष ने हंगामा किया. तब तक मुद्दा संसद की सुरक्षा में चूक था. लेकिन जैसे ही हंगामा करने वाले सांसद सस्पेंड किए गए, विपक्ष का मुद्दा ही बदल गया.
संसदीय कार्यवाही बाधित करने का अंकगणित समझिए
अगर, किसी विषय पर सरकार संसद में चर्चा को तैयार नहीं है तो हंगामा करके सदन की कार्यवाही को बाधित करना कहां तक जायज है. वह भी तब-
विपक्ष के हंगामे की वजह से संसद की कार्यवाही कई बार बाधित हुई है. इससे हुए आर्थिक नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन सब जानते हुए विपक्ष का हंगामा कर संसद की कार्यवाही बाधित करना जैसे परंपरा सी बन गई है.
सही नहीं ठहराया जा सकता विपक्ष का ये तरीका
सांसद चाहे सत्ता पक्ष के हों या फिर विपक्ष के. उन्हें देश की आम जनता चुनकर संसद इसलिए भेजती है, ताकि वो संसद में उनकी आवाज को ना सिर्फ उठाये बल्कि किसी समस्या के ठोस समाधान तक पहुंचे. लेकिन जो तस्वीरें संसद से आती हैं. उनमें गंभीर चर्चा कम हंगामा, विरोध और बवाल ज्यादा दिखाई देता है. लेकिन इसबार सभापति की कड़ी कार्रवाई के बाद भी विपक्ष समझने को तैयार नहीं है.
हर काम का एक तरीका होता. कोई नियम होता है. कोई मर्यादा होती है. सरकार से जवाब मांगने के बहाने विपक्षी सांसदों ने जिस तरह से संसद में सारे नियम, सारे कायदे और सारी मर्यादाओं को पार किया है, उसे सही तो नहीं ठहराया जा सकता. अगर विपक्षी सांसदों को ये बात समझ नहीं आई तो हो सकता है कि मौजूदा शीतकालीन सत्र खत्म होते होते सारे विपक्षी सांसद ही Suspend हो जाएं.
निलंबन के बाद क्या है सदन का गणित
यानी संसद के दोनों सदनों में पहले से ही अल्पमत में चल रहा विपक्ष, अब और भी ज्यादा अल्पमत में आ चुका है और सरकार का बहुमत हो चुका है. इस हिसाब से अब सरकार चाहे तो इस वक्त संसद में कोई भी Bill या प्रस्ताव, बिना बहस या विरोध के आसानी से Pass करवा सकती है. विपक्षी सांसद भी अब यही कह रहे हैं कि उनको Suspend करने के पीछे सरकार की यही मंशा भी है.
सरकार ने दिया है विपक्षी हंगामे पर ये तर्क
विपक्षी सांसद अपने Suspension के विरोध में तर्क दे रहे हैं और इसे लोकतंत्र का अपमान बता रहे हैं और कह रहे हैं कि मोदी सरकार विपक्ष मुक्त संसद बनाना चाहती है. विपक्ष के इस आरोप के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. बीजेपी संसदीय दल की बैठक में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि लगता है विपक्ष ने विपक्ष में ही बने रहने का मन बना लिया है. PM मोदी ने कहा कि जिन्होंने संसद की सुरक्षा में सेंध की, कुछ दल, एक तरह से उनके समर्थन में आवाज उठा रहे हैं, ये सेंधमारी की तरह ही खतरनाक है और ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रधानमंत्री मोदी के कहने का मतलब ये है कि जिस तरह दो लड़कों ने संसद की सुरक्षा में सेंध लगाई है. उसी तरह विपक्ष भारत के लोकतंत्र और संसद की मर्यादा और परंपरा में सेंध लगा रहा है.
क्या कहती है संसद की Rule Book
फिर सवाल ये है कि विपक्ष का तो काम ही होता है सरकार का विरोध करना तो फिर विपक्षी सांसदों को Suspend कैसे किया जा सकता है. ऐसे तो विपक्ष, सरकार से सवाल ही नहीं पूछ पाएगा, सरकार का विरोध ही नहीं कर पाएगा. ये बिलकुल सही बात है लेकिन जैसा कि हमने पहले भी कहा कि सरकार का विरोध करने का भी एक तरीका होता है, संसद के भी नियम होते हैं, जिनको तोड़ने का अधिकार ना सत्ता पक्ष को होता है और ना विपक्ष को. संसद की एक Rule Book होती है जिसके आधार पर ही Speaker सदन को चलाते हैं.
संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में अबतक जिन एक सौ इक्तालिस विपक्षी सांसदों को Suspend किया गया है, उन्होंने ये तीनों Rules तोड़े हैं. इन सांसदों ने संसद की सुरक्षा में सेंध पर सरकार से जवाब मांगने के बहाने संसद को चलने से रोका है, आसन का अपमान किया है, नारेबाजी की है, और तख्तियां लेकर सदन में हंगामा मचाया है. यहां तक कि इन सांसदों ने संसद के बाहर भी Mimicry करके राज्यसभा के उपसभापति पद का अपमान किया है. इसी का नतीजा ये हुआ है कि संसद के इतिहास में पहली बार एक सत्र में इतने ज्यादा सांसदों को Suspend किया गया है.
क्या इससे पहले भी निलंबित किए गए हैं इतने सांसद
ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है कि विपक्ष के हंगामे और असंसदीय व्यवहार की वजह से सांसदों को निलंबित किया गया हो. अब से पहले एक साथ सबसे ज्यादा सांसदों को Suspend करने का रिकॉर्ड राजीव गांधी सरकार के दौरान का है.
इस बार सांसदों के Suspension के सारे Record टूट गए हैं, क्योंकि इस बार एक दिन में सबसे ज्यादा सांसदों को Suspend किया गया है और एक सत्र में भी सबसे ज्यादा सांसद Suspend हुए हैं. लेकिन इतिहास गवाह है कि Suspend होने से विपक्षी सांसदों को कोई फर्क नहीं पड़ता. कांग्रेस के निलंबित सांसद शशि थरुर ने अपनी Elite Class English में Tweet किया है कि सदन से निलंबित होना उनके लिए सम्मान की बात है यानी विपक्षी सांसद संसद से Suspend होने को अपना सम्मान समझते हैं और इस बार भी यही हो रहा है. विपक्षी सांसद निलंबित होने की खुशी मनाते हुए देखे जा रहे हैं.
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