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धर्म
What to do and What not during Chaturmas: 17 जुलाई देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो रहा है. 17 जुलाई से अगले 4 महीने तक चातुर्मास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाएगा.
चातुर्मास चार महीने की अवधि है जब भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा में चले जाते हैं. 17 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ होगा. इस दौरान सगाई, विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. इस दौरान पूजा-पाठ और दान का महत्व बढ़ जाता है.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चातुर्मास 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से शुरू होता है और इस दिन से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए क्षीर सागर में शयन के लिए चले जाते हैं. फिर 12 नवंबर को देवउठी एकादशी पर भगवान विष्णु और सभी देवता जाग जाते हैं और अपना-अपना काम संभाल लेते हैं. भगवान विष्णु के शयन के दौरान भगवान शिव सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं. इसलिए श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का बहुत महत्व है.
यहां जानिए चातुर्मास का महत्व और इन 4 महीनों में दान-पुण्य करने से क्या लाभ होता है? साथ ही जानिए इन 4 महीनों में कौन से काम नहीं करने चाहिए.
चातुर्मास के 4 महीनों के दौरान ये कार्य नहीं किए जाते हैं
चातुर्मास के 4 महीनों के दौरान मुंडन, जनोई संस्कार, गृह प्रवेश और विवाह जैसे मांगलिक कार्य बंद कर दिए जाते हैं. फिर देवउठी एकादशी से सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. इन 4 महीनों के दौरान उपवास, शराब और अंडे का सेवन करना चाहिए. इस दौरान कोई नया काम शुरू न करें, अन्यथा उसमें सफलता नहीं मिलेगी.
चातुर्मास का महत्व
हिंदू मान्यताओं में चातुर्मास का महत्व विशेष माना जाता है. भले ही इस दौरान मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं, लेकिन पूजापाठ और धार्मिक कार्य महत्वपूर्ण होते हैं. चातुर्मास में भागवत कथा सुनने का बहुत महत्व है. इस दौरान अपने घर में भजन कीर्तन का आयोजन करना चाहिए. इस तरह घर से नकारात्मकता दूर होती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
चातुर्मास में दान का महत्व चातुर्मास में जरूरतमंद लोगों को दान देने का विशेष महत्व पद्म पुराण में बताया गया है. इन चार महीनों में जूते, छाते, कपड़े, भोजन और पूजन सामग्री का दान करना चाहिए. इस बीच दान-पुण्य करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनके घर में धन की कमी नहीं होती है.
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