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भारत
DNA TV Show Mission Gaganyaan: चंद्रयान-3 की सफलता और सूर्य मिशन आदित्य L1 की सफल लॉन्चिंग के बाद भारत अंतरिक्ष में अपना एक और अहम मिशन लॉन्च कर रहा है. DNA TV Show में इसकी विस्तार से चर्चा की गई.
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भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है. मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO ने सूर्य मिशन आदित्य L1 की सफल लॉन्चिंग की थी. इसके बाद से देशवासियों को मिशन गगनयान का इंतजार था, क्योंकि वर्ष 2018 में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की घोषणा की थी. साल 2025 में इस मिशन को लॉन्च किया जाना है.
Mission Gaganyaan का पूरे देश को इंतजार
मिशन गगनयान की घोषणा के बाद से ISRO के वैज्ञानिकों ने तैयारी शुरू कर दी थी, दूसरी तरफ देशवासी इस मिशन के लॉन्च होने का इंतजार करने लगे। उनके मन में ये जानने की उत्सुकता थी कि मिशन गगनयान पर जाने वाले वो सौभाग्यशाली चार भारतीय अंतरिक्षयात्री कौन होंगे? जो दुनिया में देश का मान-सम्मान बढ़ाएंगे और अंतरिक्ष में तिरंगा लहराएंगे.
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देश के सामने आए 4 अंतरिक्ष यात्री
आज देशवासियों का इंतजार खत्म हुआ और इन चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की मुंह दिखाई हो गई. आज Thiruvananthapuram में ISRO के विक्रम साराभाई Space Center में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चार चेहरों से देश को परिचित कराया और अपने हाथों से Astronauts Wings पहनाए. ये नाम हैं
- ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर
- ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन
- ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
4 चेहरों पर टिकी रहेगी पूरे देश की नजर
इन्हीं चारों को अंतरिक्ष में देश के पहले मानव मिशन पर जाने का अवसर मिला है. अंतरिक्ष मिशन पर देश के चार नौजवान 140 करोड़ देशवासियों का प्रतिनिधित्व करेंगे. इन पर पूरे देश की उम्मीदें टिकी हैं. हर देशवासी इनके बारे में जानना चाहता है. जैसे चारों कौन हैं, अंतरिक्ष यात्रा के लिए इनका चुनाव कैसे हुआ ? मिशन गगनयान के लिए इन्हें किस तरह की ट्रेनिंग दी गई है ? आपको हर एक जानकारी देंगे, लेकिन सबसे पहले आपको चारों अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में बताते हैं. मिशन गगनयान के पहले अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर हैं.
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन
- ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर का जन्म 26 अगस्त 1976 को केरल के तिरुवजियाड में हुआ था।
- प्रशांत नायर को 19 दिसंबर 1998 को इंडियन एयरफोर्स की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था।
- प्रशांत नायर Flying Instructor और टेस्ट पायलट हैं. इनके पास 3000 घंटे एयरक्राप्ट उड़ाने का अनुभव है.
- प्रशांत ने लड़ाकू विमान सुखोई, मिग-21 और 29, हॉक, डोर्नियर के अलावा भी कई विमान उड़ाए हैं.
- प्रशांत NDA यानी National Defence Academy के छात्र रहे हैं और Airforce Academy में इन्हें Sword of honour मिला है.
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ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन
- गगनयान के दूसरे अंतरिक्षयात्री का नाम ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन है। अजीत कृष्णन का जन्म 19 अप्रैल 1982 को चेन्नई में हुआ था.
- इन्हें 21 जून 2003 को इंडियन एयरफोर्स की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था.
- अजीत कृष्णन भी Flying Instructor और टेस्ट पायलट हैं। इनके पास करीब 2900 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव है.
- अजीत कृष्णन लड़ाकू विमान सुखोई, मिग-21 और 29, जगुआर, डोर्नियर एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं.
- अजीत NDA के पूर्व छात्र रहे हैं. Airforce Academy में Sword of honour मिला हुआ है.
भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहे दोनों जांबाज अब भारत के मिशन गगनयान का हिस्सा हैं और अंतरिक्ष में देश का परचम लहराने को तैयार हैं। लेकिन इसी टीम में दो और जांबाज भी हैं। इनमें प्रयागराज के अंगद प्रताप और लखनऊ के शुभांशु शुक्ला हैं।
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
- भारत के मिशन गगनयान का हिस्सा बनने का अवसर ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप को भी मिला है. अंगद प्रताप का जन्म 17 जुलाई 1982 को प्रयागराज में हुआ था.
- 18 दिसंबर 2004 को अंगद प्रताप को इंडियन एयरफोर्स की Combat Team में नियुक्त किया गया था.
- अंगद प्रताप एक Flying Instructor और टेस्ट पायलट हैं। इनके पास 2000 घंटे से ज्यादा विमान उड़ान का अनुभव है।
- ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप ने सुखोई, मिग-21 और 29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर जैसे एयरक्राफ्ट उड़ाए हैं.
- मिशन गगनयान के चौथे अंतरिक्षयात्री होंगे, विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला। इनका जन्म 10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था.
शुभांशू शुक्ला
- शुभांशु शुक्ला 17 जून 2006 को इंडियन एयरफोर्स की Combat Team का हिस्सा बने थे. अब शुभांशु शुक्ला एक फाइटर Combat Leader और टेस्ट पायलट हैं.
- इनके पास 2000 घंटे से ज्यादा एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव है, इन्होंने सुखोई, मिग-21 और 29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर जैसे एयरक्राफ्ट उड़ाए हैं.
लाखों लोगों के बीच से इन चार का चुनाव होना, इनके लिए गर्व की बात है. यही वजह रही कि आज जब प्रधानमंत्री मोदी ने इनका परिचय देश से कराया, तो इन्हें 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीद बताया. भारत इस मिशन पर 10 हज़ार करोड़ से ज्यादा खर्च कर रहा है.
कैसे इस मुकाम तक पहुंचे ये 4 अंतरिक्ष यात्री
अब आपको बताते हैं कि जिन चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों पर प्रधानमंत्री मोदी और देश को गर्व है. वो इस मुकाम तक कैसे पहुंचे। उनके चयन की प्रक्रिया क्या रही। और अब मिशन गगनयान को ये चारों अंतरिक्ष यात्री कैसे पूरा करेंगे. यहां हम आपको बताना चाहते हैं कि चुने गए चारों अंतरिक्षयात्री इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा हैं और टेस्ट पायलट हैं. इनका चयन एक लंबी चौड़ी चयन प्रक्रिया के बाद हुआ है, तभी चारों यहां तक पहुंच पाए.
अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की ये प्रक्रिया है
- अंतरिक्ष यात्रियों का चयन IAM यानी इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन ने किया, जोकि इंडियन एयरफोर्स के अधीन एक संस्था है.
- अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए एयरफोर्स के सैंकड़ों पायलट ने टेस्ट दिया था, सितंबर 2019 में पहले चरण की चयन प्रक्रिया के बाद 12 लोगों को चुना गया.
- इसके बाद चुने गए 12 लोगों के मेडिकल, ऐरो मेडिकल और साइक्लोजिकल टेस्ट किए गए.
- कई चरण की प्रक्रिया के बाद IAM ने 12 में से 4 लोगों को Final किया, चुने गए चारों को ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया.
- रूस के Yuri Gagarin Cosmonaut Training Center में इनकी फरवरी 2020 से मार्च 2021 तक 13 महीने ट्रेनिंग हुई.
रूस के ट्रेनिंग सेंटर में दी गई प्रशिक्षण
रूस का Yuri Gagarin Cosmonaut Training Center वही सेंटर है, जहां वर्ष 1984 में अंतरिक्ष में जाने वाले राकेश शर्मा की ट्रेनिंग हुई थी. इसी सेंटर में भारत के इन अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार किया गया है. रूस में चारों अंतरिक्ष यात्रियों की Survival Training भी हुई है। इसमें लैंडिंग के समय किसी भी स्थिति में Survive करने के लिए Train किया गया है. जैसे लैंडिंग करते समय अगर पायलट को पहाड़ी, जंगल, रेगिस्तान या फिर समंदर में लैंड करना पड़ता है, तो वो परिस्थितियों से निपट सकें.
शारीरिक के साथ मानसिक ट्रेनिंग भी दी गई
चारों अंतरिक्ष यात्रियों को एयरोबैटिक फ्लाइंग की ट्रेनिंग भी मिली है, ताकि पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर की दूरी पर एयरोबैटिक फ्लाइंग की समस्या से अंतरिक्ष यात्रियों को जूझना ना पड़े. इसके लिए मानसिक, शारीरिक तौर पर भी अच्छी तरह ट्रेंड किया गया है.
आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि मिशन गगनयान के लिए एयरफोर्स के Pilots का ही चयन क्यों किया गया? क्या थलसेना या फिर नौसेना से जवानों को ट्रेनिंग देकर अंतरिक्ष में नहीं भेजा जा सकता था. तो इसके पीछे कुछ वजह हैं.
- Pilots अंतरिक्ष के हालात से वाकिफ होते हैं
- Pilots को उड़ान का अच्छा अनुभव होता है
- मैकेनिज्म Fail होने पर पायलट सुरक्षित जमीन पर आ सकते हैं।
इसलिए इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों पर देश के 140 करोड़ लोगों को पूरा भरोसा है और भरोसा है कि भारत अंतरिक्ष में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा. 40 वर्ष बाद चार भारतीय अंतरिक्ष में मानव मिशन पर जाएंगे, क्योंकि इससे पहले वर्ष 1984 में भारत के राकेश शर्मा ने ऐसा किया था. राकेश शर्मा भारतीय तो थे लेकिन स्पेस मिशन भारत का नहीं था. इस बार अंतरिक्षयात्री भी भारत के हैं, मिशन भी और समय भी.
4 अंतरिक्ष यात्री मिशन में होंगे शामिल
मिशन गगनयान भारत के स्पेस मिशन का हिस्सा है और इसपर ISRO काम कर रहा है. इस मिशन के तहत 4 अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में 400 किलोमीटर लॉन्च करना और फिर उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर लाना है. मिशन गगनयान के तहत Astronauts तीन दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे.
अगर भारत का मिशन गगनयान सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश होगा जो अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, सोवियत रूस और चीन ये कामयाबी हासिल कर चुके हैं.
- अमेरिका ने 5 मई 1961 को एलन शेफर्ड को अंतरिक्ष में भेजा था, जोकि 15 मिनट ही अंतरिक्ष में रहे थे।
- सोवियत रूस के गागरिन 12 अप्रैल 1961 में अंतरिक्ष में गए थे, और 108 मिनट तक स्पेस में रहे थे।
- चीन ने 15 अक्टूबर 2003 को यांग लिवेड को 21 घंटों के लिए स्पेस में भेजा था।
भारत का मिशन गगनयान वर्ष 2025 में लांच होगा. जिस तरह से ISRO के पिछले दो मिशन चंद्रयान-3 और सूर्य मिशन आदित्य एल-1 सफल रहे हैं, उससे गगनयान की सफलता पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए. इससे अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की साख बढ़ेगीऔर भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल होगा जो अंतरिक्ष में कामयाबी के झंडे लहरा रहे हैं.
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