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भारत
Congress Ask For Crowd Funding: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस ने अपने 138वें स्थापना दिवस से पहले 'डोनेट फॉर देश' के नाम से क्राउड फंडिंग अभियान शुरू किया है. पार्टी ने लोगों से दान देने की अपील की है.
डीएनए हिंदी: कांग्रेस इस वक्त अपने सबसे मुश्किल राजनीतिक दौर से गुजर रही है. दो लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद पार्टी की प्रदेशों में भी हार हो रही है. हाल ही में हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों में पार्टी की बुरी हार हुई है और राजस्थान और छत्तीसगढ़ से सत्ता से विदाई हुई है. इस बीच पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चंदा अभियान शुरू किया है. लगातार चुनावी हार और आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस क्राउड फंडिंग के कई मायने हैं. देश की सबसे बड़ी पार्टी ने आम नागरिकों से देश के लिए दान नाम से अभियान शुरू किया है. विदेशों में क्राउड फंडिंग एक काफी लोकप्रिय तरीका रहा है. जानें इस अभियान के जरिए पार्टी की रणनीति क्या है.
तीन विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत से पार्टी का उत्साह और भी बढ़ा है और कांग्रेस बैकफुट है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस के लिए एक ओर संगठन के स्तर पर चुनौती है तो दूसरी ओर पार्टी को मतदाताओं के मन में अपने लिए विश्वास भी कायम करना है. ऐसे में क्राउड फंडिंग के जरिए एक ओर सीधे जनता से जुड़ने की कोशिश है तो दूसरी ओर पार्टी चंदे की रकम से देश का मूड भांपने की भी कोशिश करेगी.
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कांग्रेस ने क्यों शुरू की क्राउड फंडिंग
देश की सबसे पुरानी पार्टी के पास क्या वाकई में पैसों की इतनी कमी हो गई है कि महज 9 साल तक केंद्र की सत्ता से दूर रहने के बाद उन्हें चंदा मांगने की जरूरत हो गई है? दरअसल क्राउड फंडिंग एक तरीका है जिसके जरिए पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को आने वाले चुनावों के लिए उत्साहित करना चाहती है. इस कैंपेन के लिए कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर घर-घर जाकर चंदा लाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. इसके अलावा, यह जनता से सीधे तौर पर रिश्ता बनाने और संवाद कायम करने की भी कोशिश है.
महात्मा गांधी ने भी देश के लिए मांगा था चंदा
1920-21 के दौर में महात्मा गांधी ने भी देश के लिए स्वराज कोष के तहत लोगों से दान की अपील की थी. भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी जनता से दान की अपील की जा चुकी है. इसी तर्ज पर कांग्रेस की कोशिश है कि एक तरफ चुनावों के लिए चंदा जुटाया जा सके और दूसरी ओर जनता के सामने यह संदेश रखा जाए कि पार्टी पूरी तरह से जनता के विश्वास और समर्थन पर आश्रित है. भारत में लेफ्ट पार्टियां क्राउड फंडिंग के तहत लंबे समय से चुनाव लड़ रही हैं.
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